कल तो पूनम की रात थी,
भीड़ में तो कल भी था, आज भी हूँ
फिर आज इतनी मायूसी क्यूँ है
फिर आज चाँद आसमां में है क्यूँ नहीं
भरपूर नशे में थी ज़िन्दगी, आज भी है
फिर आज इतनी ख़ामोशी क्यूँ है
भीड़ में तो कल भी था, आज भी हूँ
फिर आज इतनी मायूसी क्यूँ है
पहचान होती थी कल मगर
आज तो सिर्फ एक नाम है
आज तो सिर्फ एक नाम है
फिर आखिर ये अभिनय क्यूँ है ..
No comments:
Post a Comment