Saturday, July 21, 2012

...मैं चलूँ

इस अंजुली में प्यार इतना भर दे जरा
हर अंजुली  की तृष्णा मिटाता मैं चलूँ ।

रंग इतने तू इस झोली में डाल दे
हर लम्हें को रंगीन बनाता मैं चलूँ ।

सुनहरा दृश्य एक ऐसा दे दिखा
हर दृश्य की गरिमा बढाता मैं चलूँ ।

तू मंजिल एक ऐसी दे बना
हर राह को मंजिल से मिलाता मैं चलूँ ।।

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