Tuesday, December 15, 2015

ख़ुशी के मंज़र..

ख्वाबों के मकाँ टूटे कुछ इस कदर
कि अब खुश हूँ बस खुश रहने के लिए।
और खुश हूँ
कि खुश हूँ बस खुश रहने के लिए,
ना कि किसी शख़्श,
किसी चीज़, किसी मंज़िल को पाने के लिए... 

Tuesday, November 3, 2015

तेरी यादें...

सोच मेरी थम सी गयी थी
शब्द कम पड़ने लगे थे
कलम मेरी रुक सी गयी थी
कविता मेरी कही खो सी रही थी

फिर कल रात सपनों में आकर

उड़ती तेरी झुल्फों ने
सोच को मेरे नया आयाम दे दिया

ज़ालिम सी तेरी मुस्कुराहट ने
मेरे होठों में शब्द भर दिए

तेरा वो शर्माना
मेरी कलम को बेशरम बनाने लगा

तेरा कतरना, वो इंकार करना
मुझे हर बार नया जोश देने लगा

तेरी जिंदादिली ने
मेरे कविता में जान फूंक दी

थोड़ा और आशिक़,
थोड़ा और खुशमिज़ाज बना दिया।

Tuesday, August 26, 2014

Night Sky

Night Sky,
An opportunity for a limitless try

To see through the darkness,
To socialize in the loneliness,
To fare through the vastness,
To reach the happiness!

Tuesday, December 3, 2013

आज फिर कुछ लिखना चाहता हूँ

आज फिर कुछ लिखना चाहता हूँ

फिस्कल डेफिसिट से दूर
एक छोटे से शहर के, उस छोटे से घर की
डेफिसिट के बारे में बताना चाहता हूँ

4G मोबाइल की बात नहीं
उस टेलीफोन के चोगे के
वो चार नंबर्स घुमाना चाहता हूँ

किसी करप्शन की बात नहीं
वो चुपके से फ्रिज से बर्फ चुराना
उस डब्बे से सिक्के निकाल टाफी खाना चाहता हूँ

किसी शिप के डूबने या  प्लेन के क्रेश होने की बात नहीं
बारिश के दिन में वो नाव से नाव लड़ाना
वो कागज़ के हवाई जहाज बनाना चाहता हूँ

आज फिर कुछ लिखना चाहता हूँ
अपने अंदर टटोलना चाहता हूँ
उन ज़ज्बातों को शब्दों में घोलना चाहता हूँ
अपने आसुओं से आँखें भिगोना चाहता हूँ
फिर मधुर कोई तान छेड़ना चाहता हूँ
ख़ुशी के सरगम बिखेरना चाहता हूँ
वो हसीं लम्हें फिर जीना चाहता हूँ
आज फिर कुछ लिखना चाहता हूँ।।

Friday, November 29, 2013

मैं कोई लेखक नहीं हूँ

मैं कोई लेखक नहीं हूँ

कभी खुशियाँ जाहिर करता हूँ
तो कभी ग़म के आँसू शब्दोँ में पिरो देता हूँ

कभी थोड़ी आशाएँ होती हैं
तो कभी कुछ इच्छाएँ

कभी तुम्हारी खूबसूरती होती हैं
तो कभी मेरा प्यार

कभी एक अटल विश्वास होता है
तो कभी कुछ करने का एहसास होता है

कभी कुछ हसीं यादें होती हैं
तो कभी एक मनोरम साथ होता है

कभी रास्ते की बात होती है
तो कभी मंजिल बहुत पास होती है

अँधेरी रात से डर जाता हूँ कभी
तो चाँद की रौशनी में कुछ बरसात होती है

बोल देता हूँ कभी
तो कभी चुप्पी में भी बात होती है

कभी भावनाओं का शिकार हूँ
तो कभी संवेदनाओं का
मैं कोई लेखक नहीं हूँ
मैं तो बस एक इंसान हूँ।।

Saturday, October 26, 2013

तकल्लुफ

तकल्लुफ की बात तो ये है कि
जब बहना चाहता हूँ
तो तुम रफ़्तार नहीं देते
और जब गरजना चाहता हूँ
तो तुम पुचकार कर पिघला देते हो..  

Sunday, September 22, 2013

डूबना

यूँ मेरे अल्फाज़ो को मत तौल
कभी मेरे प्यार की गहराई भी देख
न चाहते हुए भी डूबना पड़ेगा
और डूब के भी संवर जाओगे।