ख्वाबों के मकाँ टूटे कुछ इस कदर
कि अब खुश हूँ बस खुश रहने के लिए।
और खुश हूँ
कि खुश हूँ बस खुश रहने के लिए,
ना कि किसी शख़्श,
किसी चीज़, किसी मंज़िल को पाने के लिए...
कि अब खुश हूँ बस खुश रहने के लिए।
और खुश हूँ
कि खुश हूँ बस खुश रहने के लिए,
ना कि किसी शख़्श,
किसी चीज़, किसी मंज़िल को पाने के लिए...