Friday, November 29, 2013

मैं कोई लेखक नहीं हूँ

मैं कोई लेखक नहीं हूँ

कभी खुशियाँ जाहिर करता हूँ
तो कभी ग़म के आँसू शब्दोँ में पिरो देता हूँ

कभी थोड़ी आशाएँ होती हैं
तो कभी कुछ इच्छाएँ

कभी तुम्हारी खूबसूरती होती हैं
तो कभी मेरा प्यार

कभी एक अटल विश्वास होता है
तो कभी कुछ करने का एहसास होता है

कभी कुछ हसीं यादें होती हैं
तो कभी एक मनोरम साथ होता है

कभी रास्ते की बात होती है
तो कभी मंजिल बहुत पास होती है

अँधेरी रात से डर जाता हूँ कभी
तो चाँद की रौशनी में कुछ बरसात होती है

बोल देता हूँ कभी
तो कभी चुप्पी में भी बात होती है

कभी भावनाओं का शिकार हूँ
तो कभी संवेदनाओं का
मैं कोई लेखक नहीं हूँ
मैं तो बस एक इंसान हूँ।।